रिश्वतखोरी में बीएचयू लिपिक को पाँच साल की कैद

सीबीआई अदालत का बड़ा फैसला, एक लाख रुपये का जुर्माना भी

वाराणसी, 13 सितंबर 2025। रिश्वतखोरी के एक चर्चित मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वच्छता एवं सहायक सेवाओं के वरिष्ठ सहायक (लिपिक) राजेश कुमार को दोषी करार देते हुए पाँच वर्ष की कठोर कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

मामला क्या था

वर्ष 2016 में शिकायतकर्ता ने सीबीआई से शिकायत की थी कि उसके पिता स्वर्गीय कल्लू, जो बीएचयू में स्वीपर पद पर कार्यरत थे, सेवा काल के दौरान ही निधन हो गया। उनकी मृत्यु-लाभ (डेथ बेनिफिट) की प्रक्रिया पूरी कराने और भुगतान जारी करने के लिए लिपिक राजेश कुमार ने 75,000 रुपये की रिश्वत की माँग की।

रंगे हाथों हुई गिरफ्तारी

शिकायत दर्ज होते ही सीबीआई ने 2 जून 2016 को राजेश कुमार के विरुद्ध मामला दर्ज कर जाँच शुरू की। इसके बाद जाल बिछाकर आरोपी को 30,000 रुपये रिश्वत लेते समय रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद 30 जून 2016 को सीबीआई ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया।

अदालत का फैसला

करीब नौ वर्षों तक चली सुनवाई के बाद विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार (12 सितंबर 2025) को अपना निर्णय सुनाया। अदालत ने राजेश कुमार को दोषी मानते हुए कहा कि सरकारी सेवाओं में इस तरह की भ्रष्ट प्रवृत्ति अस्वीकार्य है। अदालत ने उसे पाँच साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।

सख्त संदेश

अदालत के इस फैसले ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने टिप्पणी की कि “सरकारी कर्मचारी यदि अपने कर्तव्यों का पालन न कर रिश्वतखोरी में लिप्त होंगे, तो कठोर सजा से ही समाज में निवारक संदेश जा सकता है।”

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