बीना सिंह ‘मिन्टो’ की प्रथम पुण्यतिथि पर गीतों व भजन से भावपूर्ण श्रद्धांजलि

“स्मृतियों के दीप प्रज्वलित कर गईं बीना सिंह ‘मिन्टो’, भजनों की गूंज में नम हुईं आंखें”

कहा जाता है कि किसी अपने का बिछड़ जाना जीवन में ऐसी रिक्तता छोड़ जाता है जिसे कोई भर नहीं सकता। कुछ समय के लिए हर ओर शून्यता ही छा जाती है। समय भले ही मलहम बनकर यादों की चुभन को धीरे-धीरे धुंधला कर दे, लेकिन जब वही तिथि दोबारा सामने आती है, तो स्मृतियाँ फिर से ताज़ा हो उठती हैं। ऐसा ही अवसर रहा हस्तशिल्प विभाग के पूर्व उप आयुक्त मंगला सिंह की धर्मपत्नी स्वर्गीय बीना सिंह ‘मिन्टो’ की प्रथम पुण्यतिथि पर। परिवार और परिजनों ने इस दिन को केवल एक स्मरण मात्र नहीं रहने दिया, बल्कि इसे एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि समारोह का रूप दिया।

श्रद्धांजलि सभा में वाराणसी की सुप्रसिद्ध गायिका दिव्या तिवारी ने अपने मधुर भजनों और देवी गीतों से ऐसा वातावरण निर्मित किया कि उपस्थित हर व्यक्ति भावविभोर हो उठा। सुर और साधना के बीच बीना सिंह की स्मृतियाँ और भी जीवंत प्रतीत होने लगीं।स्वर्गीय बीना सिंह का असमय निधन पिछले वर्ष 26 सितम्बर को इलाज के दौरान हुआ था। उनका जाना न केवल पति मंगला सिंह बल्कि परिवार के दो पुत्रों और एक पुत्री के लिए गहरा आघात था। लंबे समय तक परिवार इस शोक से उबर नहीं सका। किंतु इस प्रथम पुण्यतिथि पर सबने उनके व्यक्तित्व और स्मृतियों को श्रद्धापूर्वक नमन किया।

इस अवसर पर निवास पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ भोजन दान का भी आयोजन किया गया। उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को सुन्दरकाण्ड की प्रति भेंट की गयी, मानो उनकी स्मृति को धर्म और भक्ति से चिरस्थायी कर दिया गया हो। इससे पूर्व सुबह मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजन का कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।सभा में परिजनों, नातेदारों और शुभचिंतकों की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि बीना सिंह ‘मिन्टो’ की स्मृतियाँ आज भी सबके हृदय में अमिट हैं। उनकी सहजता, मधुरता और स्नेह की छाप आज भी लोगों की आँखों को नम कर देती है।यह श्रद्धांजलि सभा केवल एक रस्म न होकर, जीवन की उस सच्चाई की स्मृति भी थी कि मनुष्य जाता है, पर उसकी यादें और आदर्श हमेशा जीवित रहते हैं।

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