नई दिल्ली: सीबीआई ने साइबर फ्रॉड के आरोप में भारत से अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में बड़ा कदम उठाया है। अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी एफबीआई और इंटरपोल से मिले इनपुट के आधार पर, सीबीआई ने दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में सात स्थानों पर छापेमारी की। गुरुग्राम की डीएलएफ साइबर सिटी इस साइबर फ्रॉड का मुख्य केंद्र था, जहां से विदेशियों को ठगने के लिए कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था। सीबीआई ने अब तक 43 लोगों को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-3 के तहत की गई। यह कॉल सेंटर 2022 से सक्रिय था और इसका नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ था। सीबीआई को इस मामले में एफबीआई और इंटरपोल से सटीक जानकारी मिली थी, जिसके बाद सीबीआई के इंटरनेशनल ऑपरेशन डिवीजन ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर यह कार्रवाई की। गुरुवार को दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में सात स्थानों पर छापेमारी की गई।
कई स्थानों से चल रहा था नेटवर्क
जांच में यह बात सामने आई कि इस नेटवर्क को कई केंद्रों से संचालित किया जा रहा था, जिसका मुख्य नियंत्रण गुरुग्राम से चल रहे कॉल सेंटर से किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान सीबीआई ने लाइव साइबर अपराध गतिविधियों को पकड़ा और महत्वपूर्ण सबूत भी जब्त किए। जांच टीमों ने 130 कंप्यूटर हार्ड डिस्क, 65 मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप और अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं जो अपराध को साबित करने में सहायक हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी मिले हैं जिनमें पैसों का आदान-प्रदान, कॉल रिकॉर्डिंग, पीड़ितों की सूची और निशाना बनाने के लिए तैयार की गई ट्रांसक्रिप्ट शामिल हैं।
ठगों का जाल: कैसे फंसाते थे विदेशी नागरिकों को?
सीबीआई ने बताया कि आरोपी अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों से अपनी पहचान छिपाकर संपर्क करते थे। उन्हें अपने जाल में फंसाने के लिए उनके सिस्टम में वायरस युक्त सॉफ्टवेयर डाउनलोड कराने के लिए पॉप अप पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करते थे। इसके बाद, जब सिस्टम में गड़बड़ी होती थी, तो उसे सही करने के लिए पैसे लेते थे। इस तरह से ठग विदेशी नागरिकों से पैसे ऐंठते थे और उन पैसों को कई देशों से हांगकांग ट्रांसफर करते थे। अब तक 43 आरोपी पकड़े जा चुके हैं और आगे भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इतने बड़े पैमाने पर एक साथ आरोपियों को पकड़ने का यह सीबीआई का संभवतः पहला मामला है।