वाराणसी। दीपों के अनगिनत उजास से आलोकित यह पर्व केवल घर-आँगन को ही नहीं, हृदयों को भी रोशन करता है। इसी आलोकमय भावना और पारस्परिक स्नेह को संजोए हुए सार्क संस्था द्वारा संचालित वरिष्ठ नागरिक मंच में “दिपावली महोत्सव” का भव्य एवं भावनापूर्ण आयोजन संपन्न हुआ। यहाँ उपस्थित वरिष्ठजन केवल अतिथि नहीं थे, बल्कि अनुभव, जीवन-संघर्ष और मुस्कराहटों की वह अमूल्य धरोहर थे, जिनकी उपस्थिति से वातावरण में एक आत्मीय गरमाहट फैल गई। दीयों की लौ की तरह ही उनके चेहरे भी स्नेह से दमकते हुए प्रतीत हो रहे थे, मानो वर्षों का अपनापन और साथ इस एक क्षण में फिर से जीवंत हो उठा हो। इस आयोजन ने यह संदेश और भी प्रखरता से प्रतिध्वनित किया कि उम्र भले ही बढ़ जाए, मन का उत्सव और जीवन का उल्लास कभी वृद्ध नहीं होता।
वरिष्ठ नागरिक मंच के संरक्षक विजय श्रीवास्तव ने कहा कि आज के तेज़ रफ्तार जीवन में हम तरक्की तो कर रहे हैं, पर अनजाने में अपने रिश्तों, अपने समाज और उस आत्मीयता से दूर होते जा रहे हैं, जो हमारे जीवन की सबसे बड़ी ताक़त हुआ करती थी। उन्होंने कहा“जीवन की लंबी यात्रा में हम अपने परिवार और संतानों के भविष्य को संवारने में वर्षों लगा देते हैं। लेकिन जब समय का रथ आगे बढ़ता है और संतानें अपने सपनों की उड़ान में दूर निकल जाती हैं, तब हृदय के द्वार पर एक सूना सा सन्नाटा दस्तक देने लगता है। ऐसे क्षणों में सबसे अधिक आवश्यकता होती है साथ की, संवाद की, और उस अपनेपन की जो मन को सहारा दे सके। ऐसे में यह मंच केवल संस्था नहीं, बल्कि एक घर है। ऐसा घर जहाँ कोई अकेला नहीं होता।”

वरिष्ठ नागरिक मंच के संरक्षक भरत श्रीवास्तव ने भावपूर्ण शब्दों में कहा “आज यह मंच केवल कार्यक्रमों का केंद्र नहीं, बल्कि जीवन का सहारा बन रहा है। समाज में धीरे-धीरे आत्मीयता और पारिवारिकता का ताना-बाना ढीला होता जा रहा है। रिश्तों में व्यवहारिकता तो बढ़ी है, पर संवेदनाओं की गर्माहट कम हो चुकी है। ऐसे समय में यह मंच उन संबंधों को फिर से जोड़ने, अपनेपन को पुनर्जीवित करने और बुज़ुर्गों को मानसिक और भावनात्मक संबल देने का सार्थक प्रयास है। संस्था का यह कार्य केवल सराहनीय ही नहीं, बल्कि समय की सबसे बड़ी आवश्यकता भी है।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश कुमार श्रीवास्तव ‘गणेश जी’ ने कहा, “जीवन के एक पड़ाव के बाद मन अक्सर किसी ऐसे स्थान की खोज करता है जहाँ शब्दों को बाँधना न पड़े, और भावनाएँ बिना किसी संकोच के बह सकें। यह मंच वही स्थान है कृ जहाँ हम मुस्कुरा सकते हैं, साझा कर सकते हैं, गा सकते हैं, यादों को जी सकते हैं और नए संबंधों को जन्म दे सकते हैं।
संस्था की महिला अध्यक्ष डॉ शशि कला श्रीवास्तव ने कहा कि यह केवल मिलन नहीं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा, नए उत्साह और नई उमंग के संचार का माध्यम है। हमें यह दीप जलाए रखना है ताकि कोई हृदय अंधकार में न रहे।”
कार्यक्रम संचालन के दौरान सार्क संस्था की संस्थापक रंजना गौड़ ने मंच की गतिविधियों, उद्देश्यों और आने वाले कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा “यह मंच केवल वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति का समूह नहीं, बल्कि भावनाओं का परिवार है। यहाँ उम्र नहीं, मन और संबंध बोलते हैं।”
कार्यक्रम में महिला अध्यक्ष डॉ. शशिकला श्रीवास्तव, मंजू आनंद, डॉ. रेनू दूबे, शैलेंद्र श्रीवास्तव, गजेन्द्र सिंह, प्रमोद श्रीवास्तव, मालती श्रीवास्तव, बालाजी श्रीवास्तव, शरद श्रीवास्तव, अरविंद श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव सहित अनेक गरिमामयी वरिष्ठजन उपस्थित रहे। दीपों की रोशनी और हृदयों की चमक ने इस आयोजन को एक अविस्मरणीय अनुभव में परिवर्तित कर दिया।
