भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन समारोह वैदिक मंत्रो के बीच संपन्न

वाराणसी। कायस्थ समाज के आराध्य देव भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज का भव्य वार्षिक पूजन समारोह लोहिया नगर, आशापुर स्थित सामुदायिक केंद्र में विधि-विधानपूर्वक संपन्न हुआ। यह आयोजन श्री चित्रगुप्त पूजन समिति, लोहिया नगर, आशापुर के तत्वावधान में अत्यंत श्रद्धा, उत्साह और गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ।

परंपरा के अनुरूप, इस वर्ष भी कायस्थ समाज के श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य देव की आराधना करते हुए कलम-दवात का पूजन किया, जिसे ज्ञान, न्याय और सत्य का प्रतीक माना जाता है। समारोह का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इसके पश्चात उपस्थित जनों ने भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा के समक्ष पत्र पर अपने नाम लिखकर उनका विधिवत पूजन-अर्चन किया। वातावरण “जय चित्रगुप्त भगवान की जय” के जयघोष से गूंज उठा।

पूजनोपरांत यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के सभी सदस्यों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ आहुतियाँ समर्पित कीं। यज्ञ के दौरान विश्व शांति, समाज के कल्याण, परिवारिक सुख-समृद्धि और राष्ट्र की प्रगति के लिए विशेष प्रार्थनाएँ की गईं। पुजन व यज्ञ विनोद श्रीवास्तव द्वारा कराया गया। उपस्थित जनों ने भगवान चित्रगुप्त से समाज में एकता, न्याय और सद्भाव बनाए रखने का आशीर्वाद मांगा।

पूरे कार्यक्रम के दौरान भक्ति और समर्पण का अनूठा वातावरण बना रहा। महिलाएँ एवं बच्चे भी पूरे मनोयोग से पूजन में शामिल हुए। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण का भी आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने भक्तिभाव से भाग लिया।

इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में एमएलसी आशुतोष सिन्हा के साथ पंकज श्रीवास्तव, वरिष्ठ समाजसेवी प्रकाश श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, अरविंद श्रीवास्तव, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, डॉ उमाकांत श्रीवास्तव, शशिकांत श्रीवास्तव, दीपेंद्र श्रीवास्तव, गुड्डू जी, मुकेश श्रीवास्तव, हरिशंकर सिन्हा, राहुल सिन्हा, पार्षद सारनाथ अभय पाण्डेय, जिला पंचायत सदस्य संजय मिश्रा सहित कायस्थ समाज के अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने पूजन कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सक्रिय सहयोग दिया।

कार्यक्रम के समापन पर श्री चित्रगुप्त पूजन समिति के पदाधिकारियों ने सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में एकजुटता, नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों की भावना प्रबल होती है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में यह परंपरा और भी भव्य रूप में आगे बढ़ेगी।

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